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शुक्र मना के तू हर किसी के क़रीब नहीं है! बे तकल्

शुक्र मना के तू हर किसी के क़रीब नहीं है! 
बे तकल्लुफ़ी हर रिश्ते में मुनासिब नहीं है! 
न नुकसान उठाते बनेगा न ही 'ना' कहते, 
तिजारत और जज़्बात साथ वाजिब नहीं हैं! 

(मुनासिब - उचित) 
(तिजारत - व्यवसाय) 
(बे तकल्लुफ़ी - अपनापन)

©Shubhro K
  #30Jun2022
shubhrokdedas6046

Shubhro K

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#30Jun2022

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