चढ़ते सूरज, चढ़ते यौवन को, हर कोई सलाम करता है। ढ़लते सूरज, ढ़लते यौवन को, अब कौन सलाम करता है ? बहती गंगा की धारा में हर कोई, नहाना चाहता है। गंगा मैली हो चुकी है अब कौन, हाथ धोना चाहता है ?