कितना फ़र्क होता है, जब वो झूठ बोलता है सबूत पुख्ता होते हैं पर दिल यक़ीन नहीं करता है करतूत चीखते हैं मग़र उसकी आँखें निर्दोष लगती हैं ख़ाली बिस्तर भी उसके होने का गुमां देता है कितना फ़र्क होता है, जब वो झूठ बोलती है सबूत कोरे कागज़ होते हैं पर फिर भी एक किस्सा सुनाते हैं दामन उजले साफ़ होकर भी दाग़दार से लगते हैं बिस्तर पे साथ होकर भी किसी और की लगती है वो सब कुछ छुपा कर भी एक खुली किताब सा लगता है वो सब कुछ कह कर भी एक छलावा ही लगती है #सच #झूठ #धोखा #छलावा #YQdidi #YQbaba #पुख्ता #सबूत #किताब