कबिता ________ रुपंत्र्ण [mutability] __________________ जन्म नहीं आरंम्भ जीवन का, मृत्यो नहीं अंत समय का, मरघट तक केबल तन जाता है, कल्पनाओ के आगे भी मन जाता है, अंत क्षण जब ठन जाता है, फिर उध्घोश होता है आत्मा अमर है, आखिर कोई तो बताओ , जीवन और मित्यु के बीच यह कैसा समर है? {Deepak} रुपन्त्र्न #mutability