“मैं इंतजार करती हूँ मैं टहल सकूं स्वच्छन्द पूर्ण मैं कार्य करूँ स्वच्छंद पूर्ण बन जाए अच्छा यह समाज तंत्र अपनाए यह सब मूल मंत्र बिन डर के बोले वो अबकी बन जाए प्रेरणा वो सबकी पूर्ण करे अपने सपनों को नए शोध वो देवे सबको रात की सूनी सड़कों पर पहुचें सुरक्षित अपने घर सम्मान मिले हर नारी को यह सब कुछ सुधार दिखेगा हमको ऐसी आशाएं करती हूँ मैं इंतजार करती हूँ”…. । shukla ~~~ "मैं इंतजार करती हूँ" ।