खुदा ने जो भी दिया मुझे उसमे सबसे नायाब है वो मैं तो तप रहा था मरु की तरह वो आसमां से आती बूंदों का बौछार है वो टूट कर बिखरने लगा था मै वो मुझे समेटने आया मेरा यार है वो दम घुटने लगी थी जब ज़िन्दगी आकर नयी साँसे भर गया वो ओझिल दिख रही मंजिल को देखने मेरी आँखों मे नयी रौशनी भर रहा वो खत्म हो गयी थे गीत सारे वो ज़िन्दगी का नया राग है वो मैं मझधार में फंसा था वो किनारे लगाने वाला मेरी नैया का खेवनहार है वो मेरे दर्द का इल्म रहता है उसे मेरी खामोशी उसे सोने नही देती क्या वो कोई खुदा या खुदा का भेजा बंदा है या सिर्फ मेरा यार है वो—अभिषेक राजहंस मेरा यार है वो