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कहीं किसी रोज़ यूं भी होता हमारी हालत तुम्हारी होत

कहीं किसी रोज़ यूं भी होता हमारी हालत तुम्हारी होती
 जो रात हमने गुजारी मर के वो रात तुमने गुजारी होती

©दिल से शायरी gulzar
कहीं किसी रोज़ यूं भी होता हमारी हालत तुम्हारी होती
 जो रात हमने गुजारी मर के वो रात तुमने गुजारी होती

©दिल से शायरी gulzar