पढ़े लिखे लोग ही समझदार कहलाते हैं, मान सम्मान आदर सत्कार सब पाते हैं। पर चेहरे पर कितने मुखौटे होते हैं ईनके, कटु सत्य है ये बहुत विनाशकारी होते हैं।। पढ़े लिखे ही अनपढ़ों संग नीच व्यंग करते हैं, जाहिल हँसी होंठो पर लेके दिल पे चोट करते हैं। तोड़ देते हैं अनपढ़ों का आत्मसम्मान और आत्मविश्वास, "दम्भ" भर कैसे अपने आप को समझदार कहते हैं। अनपढों को डराते धमकाते दिख ही जाते हैं, गन्दगी फैलाते हैं खुद और इल्जाम अनपढों पे लगाते हैं। खुद ही करते हैं नीच व्यवहार अनपढ़ों संग, फिर भी ये समाज में सभ्य भी कहलाते हैं। शिक्षा से दूर होगा अंधविश्वास ऐसा कहते हैं, फिर खुद ही करते ऐसी रचनाएं और वीडियो बनाते हैं। खूद ही फैलाते हैं अंधविश्वास समाज में, विश्वास करता जो इनपर उन्हें अशिक्षित बताते हैं।। ©Ajay पढ़े लिखे लोग ही समझदार कहलाते हैं, मान सम्मान आदर सत्कार सब पाते हैं। पर चेहरे पर कितने मुखौटे होते हैं ईनके, कटु सत्य है ये बहुत विनाशकारी होते हैं।। पढ़े लिखे ही अनपढ़ों संग नीच व्यंग करते हैं, जाहिल हँसी होंठो पर लेके दिल पे चोट करते हैं। तोड़ देते हैं अनपढ़ों का आत्मसम्मान और आत्मविश्वास,