अकथित रह गया। भावनाओं का सैलाब अप्रकटीत रह गया, रिश्ता चाँद तारो का अकथित रह गया। प्रेम का इज़हार भी हो स्थापित रह गया, आँखों से इकरार भी अकथित रह गया। प्रेम कही किसी का संघठित रह गया, वही प्रेम कही किसीका अकथित रह गया। प्रेम में विरह का दौर निपतित रह गया, कही किसी का विरह भी अकथित रह गया। धरा ओर गगन का मिलन अगतित रह गया, ख़्वाब ओ हकीकत का फर्क अकथित रह गया। प्रेम का आँचल पाना कही वंचित रह गया, हृदय की गहराइयों का दर्द अकथित रह गया। प्रेम कही किसीका अपराजित रह गया, फिर भी, प्रेम से प्रेम का सवांद अकथित रह गया। अकथित रह गया। N.D. (Nisha Dasadiya) #अकथित रह गया।।।