मलीन आत्मा मेरी क्या कभी तुझमे विलीन हो पाएगी? ऐ दाति मेरी आख़री और पहली प्रार्थना क्या अनसुनी ही रह जाएँगी? दौर बुरे से गुज़र रहें क्या ज़िन्दगी यूँ ही कट जाएगी? दुःखियों के सर पर भी क्या माता अपना हाथ फिराएंगी? इंसानों में क्या माता अब हैवानियत ही खाली रह जाएँगी? आने को फ़िर माता रानी, फ़िर अस्तित्व पर सवाल उठायेंगी। अपनी ही सोचे हैं सब ही, माँ तुमको क्या ही पाएंगे? अंत समय में ये ही होगा, तेरी रौद्र अग्नि में भस्म हो जाएंगे। पहली प्रार्थना सद्बुद्धि दो, आख़िर में भी ये दोहराऊँगी, गिर गए कितना गिरते गिरते, अब क्या ही लाज बचाएंगे। इंसा ही हम कभी बन ना पाएं, तुझसे क्या ही नाता निभाएंगे? आत्मा ही मरी सभी की, तेरे आगे अब किस मुँह से शीश झुकाएंगे? (पहली प्रार्थना - 04) #kkपहलीप्रार्थना #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #nazarbiswas