पर्यावरण दिवस मैं एक पौधा हूं, जो आया था हरा-भरा लेकर हरियाली। पर इस कलयुग के मानव ने, काट दिया एक-एक डालीं। मैं तो था रक्षा कवच, मानव के जीवन का। अब मैं ही तो हूं कारण, इस मानव के विनाश का। अगर मैं होता, तो तुम रहते खुशी-खुशी। जल, भोजन और छाया बिन तड़पते नहीं कभी। तुम जिसे कहते थे चतुराई, देखो तुम्हारे लिए कितनी विपदा लाई बचा लो पेड़-पौधो को, हो जाओ सावधान। हे कलयुगी मानव, तभी कहलाओगे तुम महान। मैं एक पौधा हूं, जो आया था हरा-भरा लेकर हरियाली। पर इस कलयुग के मानव ने, काट दिया एक-एक डालीं। मैं तो था रक्षा कवच, मानव के जीवन का। अब मैं ही तो हूं कारण, इस मानव के विनाश का। अगर मैं होता, तो तुम रहते खुशी-खुशी। जल, भोजन और छाया बिन तड़पते नहीं कभी। तुम जिसे कहते थे चतुराई, देखो तुम्हारे लिए कितनी विपदा लाई