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पर्यावरण दिवस मैं एक पौधा हूं, जो आया था हरा-भरा ल

पर्यावरण दिवस
मैं एक पौधा हूं, जो आया था हरा-भरा लेकर हरियाली।
पर इस कलयुग के मानव ने, काट दिया एक-एक डालीं।
मैं तो था रक्षा कवच, मानव के जीवन का।
अब मैं ही तो हूं कारण, इस मानव के विनाश का।
अगर मैं होता, तो तुम रहते खुशी-खुशी।
जल, भोजन और छाया बिन तड़पते नहीं कभी।
तुम जिसे कहते थे चतुराई, 
देखो तुम्हारे लिए कितनी विपदा लाई
बचा लो पेड़-पौधो को, हो जाओ सावधान।
हे कलयुगी मानव, तभी कहलाओगे तुम महान। मैं एक पौधा हूं, जो आया था हरा-भरा लेकर हरियाली।
पर इस कलयुग के मानव ने, काट दिया एक-एक डालीं।
मैं तो था रक्षा कवच, मानव के जीवन का।
अब मैं ही तो हूं कारण, इस मानव के विनाश का।
अगर मैं होता, तो तुम रहते खुशी-खुशी।
जल, भोजन और छाया बिन तड़पते नहीं कभी।
तुम जिसे कहते थे चतुराई, 
देखो तुम्हारे लिए कितनी विपदा लाई
पर्यावरण दिवस
मैं एक पौधा हूं, जो आया था हरा-भरा लेकर हरियाली।
पर इस कलयुग के मानव ने, काट दिया एक-एक डालीं।
मैं तो था रक्षा कवच, मानव के जीवन का।
अब मैं ही तो हूं कारण, इस मानव के विनाश का।
अगर मैं होता, तो तुम रहते खुशी-खुशी।
जल, भोजन और छाया बिन तड़पते नहीं कभी।
तुम जिसे कहते थे चतुराई, 
देखो तुम्हारे लिए कितनी विपदा लाई
बचा लो पेड़-पौधो को, हो जाओ सावधान।
हे कलयुगी मानव, तभी कहलाओगे तुम महान। मैं एक पौधा हूं, जो आया था हरा-भरा लेकर हरियाली।
पर इस कलयुग के मानव ने, काट दिया एक-एक डालीं।
मैं तो था रक्षा कवच, मानव के जीवन का।
अब मैं ही तो हूं कारण, इस मानव के विनाश का।
अगर मैं होता, तो तुम रहते खुशी-खुशी।
जल, भोजन और छाया बिन तड़पते नहीं कभी।
तुम जिसे कहते थे चतुराई, 
देखो तुम्हारे लिए कितनी विपदा लाई
geetmisha1858

Geet Misha

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