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पग जिस पथ पर तुमने रखा उस पथ पर न जाऊंगा, लेकिन अप

पग जिस पथ पर तुमने रखा उस पथ पर न जाऊंगा,
लेकिन अपनी श्वास की धुन पर नाम तुम्हारा गाऊंगा,
जिस सावन की आस लगाए मैंने है पतझड़ काटा,
वो जब मुझको छल जाएगा तब भी प्रीत निभाऊंगा!

प्रेरित अपने यौवन से तुम कब तक यूँ मुस्काओगी,
अपने नैनों के प्यालों को कब तक यूँ छलकाओगी,
जिसकी धारा सब ले जाती आयु की उस सरिता में,
रूप तुम्हारा ढल जाएगा तब भी प्रीत निभाऊंगा !

अगले जन्म का वचन तुम्हारा किसको ज्ञात रहेगा तब,
कलियों सी इस चंचलता में किसका हाथ रहेगा तब,
लोक लाज के बंधन में या ऐसी किसी विवशता में,
वचन तुम्हारा टल जाएगा तब भी प्रीत निभाऊंगा!

सीमित मेरा प्रेम नहीं है जीवन के गलियारों में,
ये तो और सुगन्धित होगा काल के भी अंधियारों में,
दहके अंगारों से होकर किसी नदी के जलथल में,
अस्तित्व मेरा जब मिल जाएगा तब भी प्रीत निभाऊंगा!

पग जिस पथ पर तुमने रखा उस पथ पर न जाऊंगा! #NojotoQuote पग जिस पथ पर तुमने रखा उस पथ पर न जाऊंगा,
लेकिन अपनी श्वास की धुन पर नाम तुम्हारा गाऊंगा,
जिस सावन की आस लगाए मैंने है पतझड़ काटा,
वो जब मुझको छल जाएगा तब भी प्रीत निभाऊंगा!

प्रेरित अपने यौवन से तुम कब तक यूँ मुस्काओगी,
अपने नैनों के प्यालों को कब तक यूँ छलकाओगी,
जिसकी धारा सब ले जाती आयु की उस सरिता में,
पग जिस पथ पर तुमने रखा उस पथ पर न जाऊंगा,
लेकिन अपनी श्वास की धुन पर नाम तुम्हारा गाऊंगा,
जिस सावन की आस लगाए मैंने है पतझड़ काटा,
वो जब मुझको छल जाएगा तब भी प्रीत निभाऊंगा!

प्रेरित अपने यौवन से तुम कब तक यूँ मुस्काओगी,
अपने नैनों के प्यालों को कब तक यूँ छलकाओगी,
जिसकी धारा सब ले जाती आयु की उस सरिता में,
रूप तुम्हारा ढल जाएगा तब भी प्रीत निभाऊंगा !

अगले जन्म का वचन तुम्हारा किसको ज्ञात रहेगा तब,
कलियों सी इस चंचलता में किसका हाथ रहेगा तब,
लोक लाज के बंधन में या ऐसी किसी विवशता में,
वचन तुम्हारा टल जाएगा तब भी प्रीत निभाऊंगा!

सीमित मेरा प्रेम नहीं है जीवन के गलियारों में,
ये तो और सुगन्धित होगा काल के भी अंधियारों में,
दहके अंगारों से होकर किसी नदी के जलथल में,
अस्तित्व मेरा जब मिल जाएगा तब भी प्रीत निभाऊंगा!

पग जिस पथ पर तुमने रखा उस पथ पर न जाऊंगा! #NojotoQuote पग जिस पथ पर तुमने रखा उस पथ पर न जाऊंगा,
लेकिन अपनी श्वास की धुन पर नाम तुम्हारा गाऊंगा,
जिस सावन की आस लगाए मैंने है पतझड़ काटा,
वो जब मुझको छल जाएगा तब भी प्रीत निभाऊंगा!

प्रेरित अपने यौवन से तुम कब तक यूँ मुस्काओगी,
अपने नैनों के प्यालों को कब तक यूँ छलकाओगी,
जिसकी धारा सब ले जाती आयु की उस सरिता में,