हूँ मैं वो शख़्स जो दोहरी जिंदगी जी रहा हूँ, इक पल में जी रहा हूँ तो इक पल में मर रहा हूँ। कैसा है ये दौर जिंदगी का मैं जिससे गुजर रहा हूँ, कहीं तकलीफें तो कहीं आँसुओं में शिशक रहा हूँ। है मायूसी कितनी जिंदगी में ये बताऊं किससे, दर्दो गम देने वाले भी तो अपने ही हैं। इक दौर था जिंदगी का जब सब अपने लगते थे, अब अपनों में ही खुद को ढूँढने के लिए मर रहा हूँ। ऐसा नहीं कि सब ठीक करने की कोशिस न की मैंने, पर जिंदगी की गाड़ी एक पहिये में कहाँ चलती है। मैं पूछता रहा उनसे ग़लतियाँ अपनी यारों और वो यकीन दिलाते रहे जैसे मैं ही बिखर रहा हूँ। #lifestory #pain #lonliness #unexpected #trouble