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माना...काफ़िर हूँ मैं, पर हाँ दीवाना हूँ मैं तेरी आ

माना...काफ़िर हूँ मैं,
पर हाँ दीवाना हूँ मैं तेरी आँखों के पैमाने का।
इबादत है मेरी ये हुस्न तेरा,
पीना चाहता हूँ हर एक जाम तेरे हुस्न के महखाने का।।
जब दिल ही दे दिया है तेरे हुस्न रूपी महखाने को,
तो किसे खौफ अब इस बेगैरत ज़माने का।
हाँ मैं दीवाना हूँ,तेरी आँखों के पैमाने का।।


तेरी खुशबू खिंच लाती है मुझे,
कितना भी दूर जाना चाहूं पर पास बुलाती है मुझे।
और तेरी आँखों मे खो के,तेरी गुलाबी पंखुड़ी को,
जाम की तरह होंठो से लगाने की तलब  लगाती है मुझे।।
इसमें क्या कसूर है तेरे परवाने का,
हाँ,मैं दीवाना हूँ तेरी आँखों के पैमाने का।।


पैमाना नहीं पूरी मधुशाला पीनी है मुझे,
बची है जबतक सांसें तेरी बाहों मे जीनी है मुझे।
अपना बना के सदा के लिए तुझे,
तेरे जिस्म के महखाने का एक एक जाम लबों से लगाना है मुझे,
ये सब जो अनकहा है,वो बताना है तुझे।
पर कैसे कहूँ ,मैं तेरे लिए अब भी बेगाना हूँ,
औए हक़ जताना,काम नहीं होता बेगाने का,
पर हाँ मैं दीवाना हूँ तेरी आँखों के पैमाने का।। #महखाने
माना...काफ़िर हूँ मैं,
पर हाँ दीवाना हूँ मैं तेरी आँखों के पैमाने का।
इबादत है मेरी ये हुस्न तेरा,
पीना चाहता हूँ हर एक जाम तेरे हुस्न के महखाने का।।
जब दिल ही दे दिया है तेरे हुस्न रूपी महखाने को,
तो किसे खौफ अब इस बेगैरत ज़माने का।
हाँ मैं दीवाना हूँ,तेरी आँखों के पैमाने का।।


तेरी खुशबू खिंच लाती है मुझे,
कितना भी दूर जाना चाहूं पर पास बुलाती है मुझे।
और तेरी आँखों मे खो के,तेरी गुलाबी पंखुड़ी को,
जाम की तरह होंठो से लगाने की तलब  लगाती है मुझे।।
इसमें क्या कसूर है तेरे परवाने का,
हाँ,मैं दीवाना हूँ तेरी आँखों के पैमाने का।।


पैमाना नहीं पूरी मधुशाला पीनी है मुझे,
बची है जबतक सांसें तेरी बाहों मे जीनी है मुझे।
अपना बना के सदा के लिए तुझे,
तेरे जिस्म के महखाने का एक एक जाम लबों से लगाना है मुझे,
ये सब जो अनकहा है,वो बताना है तुझे।
पर कैसे कहूँ ,मैं तेरे लिए अब भी बेगाना हूँ,
औए हक़ जताना,काम नहीं होता बेगाने का,
पर हाँ मैं दीवाना हूँ तेरी आँखों के पैमाने का।। #महखाने
abhioli5920

Abhi Oli

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