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एक शाम थी ढली, रोशन थी गली... बेमानी सी लगती थी य

एक शाम थी ढली,  रोशन थी गली... बेमानी सी लगती थी ये सारी कायनात, 
जब तू हमे अपनी बाहों के घेरे में समेटती थी
..... #जलज_कुमार #NojotoQuote बेमानी सी लगती थी ये सारी कायनात
जब तू हमे अपनी बाहों के घेरे में समेटती थी
..... #जलज_कुमार
एक शाम थी ढली,  रोशन थी गली... बेमानी सी लगती थी ये सारी कायनात, 
जब तू हमे अपनी बाहों के घेरे में समेटती थी
..... #जलज_कुमार #NojotoQuote बेमानी सी लगती थी ये सारी कायनात
जब तू हमे अपनी बाहों के घेरे में समेटती थी
..... #जलज_कुमार