ये वक्त अब धीरे धीरे मेरे हाथ से निकल रहा है
हां उसका जीना अब उसके लिए ही बोझ बन रहा है
किसी दिन उसकी खुदखुशी की खबर मिले तो कोई ताज्जुब ना करना
"पंडित" अपने एहसासों से सबको पहले ही वाकिफ कर रहा है
बस मोहब्बत ना करना अगर खुश रहना है ज़िंदगी भर
अपने आखरी लम्हों में वो ये सबसे गुजारिश कर रहा है
गोपाल_पंडित
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