ये माना कि दरमियां अभी तल्खियां बहुत हैं मिलने को मगर लफ्ज़ों की कश्तियां बहुत हैं मैं गुड़ सा मीठा तो नहीं फिर भी ना जाने क्यों आस-पास भिन-भिनाती हुई मक्खियां बहुत हैं भूख की बे-कसी उस शख़्स से पूछ लेना जिसके लिए एक-दो बासी रोटियां बहुत हैं ख़्वाबों की लुकाठी सुलगाएंगे जब कोई राह ना बचेगी अभी जलने-जलाने को नफरत की लकड़ियां बहुत हैं वो चूरा कर देता है सारी उम्मीदें पलक झपकते ही उसके पास ख़्वाब पीसने वाली चक्कियां बहुत हैं ©KaushalAlmora SOD: कैसे भूलेगी मेरा नाम{euphoria} #तल्खियां #रोजकाडोजwithkaushalalmora #kaushalalmora #yqdidi #yqbaba #मख्खियां #चक्की