मेरे संघर्ष की कहानी मेरे जीवन की भी संघर्ष कहानी भिन्न रही, जैसे पाषाणो पर पेड़ उगाना उससे भी कुछ भिन्न रही | मैं जल हूँ और बहना मेरा काम रहा, कुछ दूरी चलने पर ही जीवन में एक मोड़ रहा | इतना भटका इतना भूला चलना कितना भूल गया, सीधे पथ पर भी मैं सीधा चलना भूल गया | मंजिल भी मिल जाती थी पर रुकना उस पर भूल गया, मिला हमेशा पथ पर चलकर ये भी कहना छूट गया | जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ संघर्ष भी उतना बड़ा हुआ, जिद थी मेरी लड़ने की संघर्षों से मैं बड़ा हुआ | #मेरे संघर्ष की कहानी मेरी जीवनी