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काव्य संग्रह 👉💝 प्रेम अमर है 💝 🌷का

काव्य संग्रह 👉💝 प्रेम अमर है 💝
            🌷काव्य कृति 🌷
             🌷प्रेम - राग 🌷

मन - हृदय पर होकर अंकित प्रिया 
अनजान नासमझ नहीं हो सकती ।
भोली  नादान  अल्हड़  कमसिन है
पर , प्रेम में बेईमान नहीं हो सकती ।

प्रिय प्रियतमा  हृदय में  स्पंदन एक साथ हुआ
होकर आलिंगनबद्ध दोनों में प्रेम प्रकाश हुआ।
प्रेम की अग्नि जीवन बड़वाग्नि नहीं हो सकती
मन  प्रीत की रीत  ये  शमशान  नहीं हो सकती।

छू  कर अधरों ने अधरों का मधुर रसपान किया 
कोमल केंचुली अंगों ने काम का आह्वान किया ।
कामान्ध नव - कलिका का मर्दन नहीं हो सकता
नवजीवन  की सहचरी  पथभ्रष्ट नहीं हो सकती ।

कामातुर होकर नयनों ने रति का गुणगान किया
कपोल ,ग्रीवा ,कर्ण ,केश  को  नेह से पुष्ट किया।
उच्च श्वेत धवल हिम शिखर धूमिल हो सकता है
आत्मिक प्रेममय होकर मति भ्रष्ट नहीं हो सकती ।

युविका का नवयौवन कंवल-सा प्रस्फुटित  हुआ
प्रेम  में आसक्त हो कर  रोम-रोम पुलकित हुआ ।
निश्छल प्रेम पर आत्मविश्वास कम नहीं हो सकता
नारित्व धर्म  से  प्रियतमा  विमुख नहीं हो सकती ।

लतिका-से  कर  पकड़ ,अंजुरी पर चुंबन अंकित किया
छूकर अधरों से नाभि प्रदेश अंग-अंग सारगर्भित किया।
प्रिय के प्रेम में प्रियतमा , सर्वस्व समर्पित कर सकती है
किन्तु काम-वेग में निर्लज्ज अमर्यादित नहीं हो सकती।

स्वर्ग-धरा का सारा वैभव नगण्य हो जाता है
नर-नारी हृदय जब प्रेम  आसक्त हो जाता है ।
कंवल  मन - हृदय  भाव  उजागर कर सकता है
किन्तु, कमल चरित्र पर कालिख नहीं हो सकती ।

२४/०६/२०१९
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क'
मुजफ्फरनगर,उत्तर प्रदेश । काव्य संग्रह 👉💝 प्रेम अमर है 💝
            🌷काव्य कृति 🌷
             🌷प्रेम - राग 🌷

मन - हृदय पर होकर अंकित प्रिया 
अनजान नासमझ नहीं हो सकती ।
भोली  नादान  अल्हड़  कमसिन है
पर , प्रेम में बेईमान नहीं हो सकती ।
काव्य संग्रह 👉💝 प्रेम अमर है 💝
            🌷काव्य कृति 🌷
             🌷प्रेम - राग 🌷

मन - हृदय पर होकर अंकित प्रिया 
अनजान नासमझ नहीं हो सकती ।
भोली  नादान  अल्हड़  कमसिन है
पर , प्रेम में बेईमान नहीं हो सकती ।

प्रिय प्रियतमा  हृदय में  स्पंदन एक साथ हुआ
होकर आलिंगनबद्ध दोनों में प्रेम प्रकाश हुआ।
प्रेम की अग्नि जीवन बड़वाग्नि नहीं हो सकती
मन  प्रीत की रीत  ये  शमशान  नहीं हो सकती।

छू  कर अधरों ने अधरों का मधुर रसपान किया 
कोमल केंचुली अंगों ने काम का आह्वान किया ।
कामान्ध नव - कलिका का मर्दन नहीं हो सकता
नवजीवन  की सहचरी  पथभ्रष्ट नहीं हो सकती ।

कामातुर होकर नयनों ने रति का गुणगान किया
कपोल ,ग्रीवा ,कर्ण ,केश  को  नेह से पुष्ट किया।
उच्च श्वेत धवल हिम शिखर धूमिल हो सकता है
आत्मिक प्रेममय होकर मति भ्रष्ट नहीं हो सकती ।

युविका का नवयौवन कंवल-सा प्रस्फुटित  हुआ
प्रेम  में आसक्त हो कर  रोम-रोम पुलकित हुआ ।
निश्छल प्रेम पर आत्मविश्वास कम नहीं हो सकता
नारित्व धर्म  से  प्रियतमा  विमुख नहीं हो सकती ।

लतिका-से  कर  पकड़ ,अंजुरी पर चुंबन अंकित किया
छूकर अधरों से नाभि प्रदेश अंग-अंग सारगर्भित किया।
प्रिय के प्रेम में प्रियतमा , सर्वस्व समर्पित कर सकती है
किन्तु काम-वेग में निर्लज्ज अमर्यादित नहीं हो सकती।

स्वर्ग-धरा का सारा वैभव नगण्य हो जाता है
नर-नारी हृदय जब प्रेम  आसक्त हो जाता है ।
कंवल  मन - हृदय  भाव  उजागर कर सकता है
किन्तु, कमल चरित्र पर कालिख नहीं हो सकती ।

२४/०६/२०१९
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क'
मुजफ्फरनगर,उत्तर प्रदेश । काव्य संग्रह 👉💝 प्रेम अमर है 💝
            🌷काव्य कृति 🌷
             🌷प्रेम - राग 🌷

मन - हृदय पर होकर अंकित प्रिया 
अनजान नासमझ नहीं हो सकती ।
भोली  नादान  अल्हड़  कमसिन है
पर , प्रेम में बेईमान नहीं हो सकती ।
nojotouser4980833355

Pnkj Dixit

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