Nojoto: Largest Storytelling Platform

आँखों की फितरत कुछ ऐसी हो गई है मियाँ इज़्ज़त बचा

आँखों की फितरत कुछ ऐसी हो गई है मियाँ 
इज़्ज़त बचाने को लिबास कम पड़ जाते हैं 
सुनाने जब भी जाता हूँ नगमा बेवफाई का
मेहफिल मे साथ देने को साज़ कम पड़ जाते हैं 
और लाल साड़ी मे वो जब भी आती है 
तारीफ को उसकी अल्फाज कम पड़ जाते हैं

                                   ~ प्रणव पाराशर ... Nazm...
आँखों की फितरत कुछ ऐसी हो गई है मियाँ 
इज़्ज़त बचाने को लिबास कम पड़ जाते हैं 
सुनाने जब भी जाता हूँ नगमा बेवफाई का
मेहफिल मे साथ देने को साज़ कम पड़ जाते हैं 
और लाल साड़ी मे वो जब भी आती है 
तारीफ को उसकी अल्फाज कम पड़ जाते हैं

                                   ~ प्रणव पाराशर ... Nazm...