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मिटाई रात दिन हमने निशानी इश्क़ की अपनी मगर फिर भी

मिटाई रात दिन हमने निशानी इश्क़ की अपनी
मगर फिर भी पता सबको कहानी इश्क़ की अपनी

चलो फिर बैठ कर देखें कहाँ पे था गलत कोई
कमी बेसी किसी को क्यों बतानी इश्क़ की अपनी

अगर था भी कोई मसला मिटाते साथ में दोनों
हमें बस चाहिये सूरत पुरानी इश्क़ की अपनी

हमें यूँ साथ देखें तो सभी को रश्क़ होता था
हँसी क्या सामने उनके उड़ानी ? इश्क़ की अपनी

खिलाये फूल हमने थे कभी जलते शरारे में
नही हम भूल पाये बागबानी इश्क़ की अपनी

हुआ नुकसान दोनो का करेंगे साथ भरपाई
दिलों के दरमियाँ दौलत कमानी इश्क़ की अपनी

©Piyush Shukla मिटाई रात दिन हमने निशानी इश्क़ की अपनी
मगर फिर भी पता सबको कहानी इश्क़ की अपनी

चलो फिर बैठ कर देखें कहाँ पे था गलत कोई
कमी बेसी किसी को क्यों बतानी इश्क़ की अपनी

अगर था भी कोई मसला मिटाते साथ में दोनों
हमें बस चाहिये सूरत पुरानी इश्क़ की अपनी
मिटाई रात दिन हमने निशानी इश्क़ की अपनी
मगर फिर भी पता सबको कहानी इश्क़ की अपनी

चलो फिर बैठ कर देखें कहाँ पे था गलत कोई
कमी बेसी किसी को क्यों बतानी इश्क़ की अपनी

अगर था भी कोई मसला मिटाते साथ में दोनों
हमें बस चाहिये सूरत पुरानी इश्क़ की अपनी

हमें यूँ साथ देखें तो सभी को रश्क़ होता था
हँसी क्या सामने उनके उड़ानी ? इश्क़ की अपनी

खिलाये फूल हमने थे कभी जलते शरारे में
नही हम भूल पाये बागबानी इश्क़ की अपनी

हुआ नुकसान दोनो का करेंगे साथ भरपाई
दिलों के दरमियाँ दौलत कमानी इश्क़ की अपनी

©Piyush Shukla मिटाई रात दिन हमने निशानी इश्क़ की अपनी
मगर फिर भी पता सबको कहानी इश्क़ की अपनी

चलो फिर बैठ कर देखें कहाँ पे था गलत कोई
कमी बेसी किसी को क्यों बतानी इश्क़ की अपनी

अगर था भी कोई मसला मिटाते साथ में दोनों
हमें बस चाहिये सूरत पुरानी इश्क़ की अपनी