तेरे शहर मैं आके मांगता भी तो क्या मांगता जहर कि शीशी में थोड़ी दवा भी मांगता तो कयों मांगता वफा कि सोल ओढे न जाने कितनों के दिल तोडे एक हम चैन से जिना चाहतें थे एक तुम बेवफा यार निकले बस कर सांसों मैं नफरत का जहर घोला है प्यार का दावा कर के तुने मैरी गैर त से खैला है #kartik ji @@_____।। #जैसी#दवा_बैसा_मर्ज_नहीं_मिलता #अमीरों_के_शहर_मैं_गरीबों_को_कर्ज_नहीं #मिलत_यूं__तो__ढूंढ_ते_रह_जाते_है #जगहा__जहां__झोपड़ी__मिलें #वहां___उसके_जैसा_पका_मकान_नहीं #मिलता #लफ्ज़__ला__इलाज__हो_गयें #कार्तिक #जी @______//_____!!