जानते हुए भी सच मैंने उसके झूठ को संभाला था रंग उसका गोरा लेकिन प्यार उसका काला था जिसे रहने के लिए जगह दी ताउम्र दिल में उसने पल में मुझे दिल से निकाला था हमारे घर में चिराग़ जितनी रोशनी न थी पूरे शहर में भरपूर उजाला था उसे पूरी ज़िन्दगी किसी से इश्क न हुआ वो आदमी सच में किस्मत वाला था जिस घर से खुशियों की महक उठती थी आज उस घर पर ग़म का ताला था दौलत और दिल बाज़ार में दांव पर लगे थे 'गुरविंदर' हर शख़्स दौलत को बचाने वाला था ©Gurvinder Matharu Money and Heart #DesiPoet