जीने के जुर्माने कितने संघर्षों से थी जेब भरी कितनी खर्च की कितनी जोड़ी जेब रही भरी की भरी मगर जुर्माने बढ़ते गए खत्म न हुए कभी.. ©Swati kashyap #जुर्माने