बहुत दिनों बाद मैंने अपनी डायरी और कलम उठायी लिखने को, लेकिन अचानक से कुछ इस तरह के भाव उमड़ पड़े इक़राम वालों के दिल पर इंतकाम लगा रहे हो तुम समंदर पे आग लगाने का इल्जाम लगा रहे हो समंदर ख़ामोश है रहने दो,वरना तबाही होगी क्यों आगाज़ के पन्नो में अंजाम लगा रहे हो सन्तोष पांडेय(सत्यबन्धु) #satyabandhubharat इक़राम वालों के दिल पर इंतकाम लगा रहे हो तुम समंदर पे आग लगाने का इल्जाम लगा रहे हो समंदर ख़ामोश है रहने दो,वरना तबाही होगी क्यों आगाज़ के पन्नो में अंजाम लगा रहे हो सन्तोष पांडेय(सत्यबन्धु) #satyabandhubharat