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कैसा ये युग आया भाई। सोच रही भी देवी माई।। मधुर न

 कैसा ये युग आया भाई।
सोच रही भी देवी माई।।
मधुर नहीं अब होती गीतें।
मर्यादा की खोती रीतें।।
शिष्ट नहीं गीतों की बोली।
मुद्रा लोभी जन-जन टोली।।

©Bharat Bhushan pathak
  #hillroad 
 कैसा ये युग आया भाई।
सोच रही भी देवी माई।।
मधुर नहीं अब होती गीतें।
मर्यादा की खोती रीतें।।
शिष्ट नहीं गीतों की बोली।
मुद्रा लोभी जन-जन टोली।।

#hillroad कैसा ये युग आया भाई। सोच रही भी देवी माई।। मधुर नहीं अब होती गीतें। मर्यादा की खोती रीतें।। शिष्ट नहीं गीतों की बोली। मुद्रा लोभी जन-जन टोली।। #Thoughts

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