थक चुके हैं अब पांव हमारें, उम्मीदों का बोझ हैं भारी। रुक नहीं सकते बीच सफ़र में, कर गुजरने की हैं बारी।। बिन जीते मैं हार मान लूं , नही सीखा जीवन में ऐसा। पथ पर चलती जाऊंगी, फिर घटित हों चाहे जैसा।। लक्ष्य ही हैं नेह का धेय्य, मंजिल को हर हाल में पाना। हो कठिन क्यों ना चरण, मुझको हैं बस चलते जाना।। #collabwithपंचपोथी #जलसा_पंचपोथी #पंचपोथी Panch Pothi