कैसा ये इश्क़ का मंज़र है हर रोज़ जताना पड़ता है मोहब्बत कितनी अंदर है जिस्मों से बताना पड़ता है चादर की सिलवट से पूछो क्या- क्या सहना पड़ता है ये दुनिया सौदे का खंजर है यहां दर्द कमाना पड़ता है आबरू बेशक छुपाकर रखो बिस्तर पे निभाना पड़ता है रोहित मिश्रा 'हीरू' ©Rohit Mishra #intimacy #इश्क #जिस्म #चादर #सिलवट #सौदा #खंजर #दर्द