सुना है हवा के साथ साथ रेत भी उडती हैं कही दुर किसी किनारे लग जाती हैं किनारे बनते हैं लोग आते हैं वही बैठ कर सागर की लहरे समेटे ढलता सुरज याद रेह जाता है उसी रेत में छोड जाते उनके निशान सुना है हवा साथ साथ रेत भी उडती है सुना है हवा के साथ रेट भी उडती है