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जाने क्यूँ खुश होकर भी मुस्कुरा नहीं पायी भीड़ म

जाने क्यूँ खुश होकर भी 
मुस्कुरा नहीं पायी 
भीड़ में खडी़ होकर भी 
खुद को तन्हा पायी 
जाने कैसी कशक  रहती है, 
अन्दर ही अन्दर 
इक तेरी कमी, मानो मेरे लिए 
सब सूखे हो समन्दर 
वो तड़प वो बेचैनी
 वो मासूम सी चाहत 
क्यूँ हर जगह खोजती रहती
, तेरे आने की आहट

©Ruchi Yadav
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