पल दो पल की ये "हसीन" दास्ताँ मेरी कुछ हसीन लम्हे, तो कुछ ग़मगीन पल सुनहरा सूरज देखा, तन्हा रात भी मैंने लब पर खुशी रही, पलकें नम देखी मैंने इश्क़ में दीवाना बना, कुछ आवारा बना कुछ पल ही सही जीने का सहारा बना आँसूओ से लिखी,"दर्द" से भरी कहानी अधूरी रही दास्तान, ज़िन्दगी की कहानी ♥️ Challenge-540 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।