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वो सिम‌्ते नबि का ख़सारा तो देखो ज़रा से ज़खम पे लू

वो सिम‌्ते नबि का ख़सारा तो देखो
ज़रा से ज़खम पे लूटा दी ज़मीं थी
मुझे मार कर क्या करोगे मुजाहिद
जला मौसिकी को जो कायर नहीं थी!
#dharmuvach✍🏻

(पुरी नज़्म captions में पढ़े 🙏) जीवन की मधुशाला में...

वफ़ा की वज़ह से अलग दुश्मनी थी
वो आबाद थी और अज़ीज़-ए-गनी थी
कोई खुल्द खासा खुदाया मुनव्वर 
नफिल -ए- गनीमत, नक़ल से बनी थी।

अज़ानो की मानो खुदा पहचानो
वो सिम‌्ते नबि का ख़सारा तो देखो
ज़रा से ज़खम पे लूटा दी ज़मीं थी
मुझे मार कर क्या करोगे मुजाहिद
जला मौसिकी को जो कायर नहीं थी!
#dharmuvach✍🏻

(पुरी नज़्म captions में पढ़े 🙏) जीवन की मधुशाला में...

वफ़ा की वज़ह से अलग दुश्मनी थी
वो आबाद थी और अज़ीज़-ए-गनी थी
कोई खुल्द खासा खुदाया मुनव्वर 
नफिल -ए- गनीमत, नक़ल से बनी थी।

अज़ानो की मानो खुदा पहचानो
dharmdesai1546

Dharm Desai

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