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मै इस तरह बेइंतहा हो जाता हूं। कि हरदम तन्हा-तन्हा

मै इस तरह बेइंतहा हो जाता हूं।
कि हरदम तन्हा-तन्हा लहराता हूं।।

कभी ख्वाबों में, कभी बेचैनी में।
खुद को कहां- कहां तरसाता हूँ।।

मनोहर चित को कहीं रमाया नहीं।
होके बेताब यहां-वहां जाता हूँ।।

"फक्कड़" हुआ न सनम आपका।
बिन आपके जहां-तहां गाता हूं।। 

की मेरा भी अब आसरा हो।
खुद को बहुत जपा-तपा पाता हूं।।

©।।फक्कड़।। #fakkad

#Anger
मै इस तरह बेइंतहा हो जाता हूं।
कि हरदम तन्हा-तन्हा लहराता हूं।।

कभी ख्वाबों में, कभी बेचैनी में।
खुद को कहां- कहां तरसाता हूँ।।

मनोहर चित को कहीं रमाया नहीं।
होके बेताब यहां-वहां जाता हूँ।।

"फक्कड़" हुआ न सनम आपका।
बिन आपके जहां-तहां गाता हूं।। 

की मेरा भी अब आसरा हो।
खुद को बहुत जपा-तपा पाता हूं।।

©।।फक्कड़।। #fakkad

#Anger