हाथों को जोड़ बस रह जाती हूॅं, नहीं आगे कुछ भी कह पाती हूॅं माॅंगा है जन्म से, हमेशा ही माॅंगू, तुम्हारे प्रेम में विश्वास जताती हूॅं। मुझे तुमने शरण में रखा हुआ है, तुम्हारे द्वारा ही निभ जाती हूॅं, मैं अधम आ पड़ी हूॅं इन चरणों में, कभी नहीं आत्मसात कर पाती हूॅं। हम जैसे तुम रोज़ ही पाते हो, तुम्हारी जगह किसे रख पाती हूॅं मेरे पास कहने को पूरा संसार है तुमसा दूजा कहाॅं देख पाती हूॅं। कृपया अनुशीर्षक देखें Day 4 #kkपहलीप्रार्थना हाथों को जोड़ बस रह जाती हूॅं, नहीं आगे कुछ भी कह पाती हूॅं माॅंगा है जन्म से, हमेशा ही माॅंगू, तुम्हारे प्रेम में विश्वास जताती हूॅं।