न थकता है, ना रूकता है और ना किसी का इंतजार ये करता है, हाथ नहीं आता है, वक़्त का ये परिंदा,जब वक़्त निकल जाता है। एक पल के लिए भी तुम अपना, वक़्त कभी भी व्यर्थ ना गंवाना, जो गुजर जाएगा, लौटकर फिर कभी भी ना आएगा वो जमाना। अतीत की यादों में फंसकर, अपने वर्तमान को तुम ना भुलाना, वर्तमान की नींव पर ही, भविष्य संवरता है इसको समझ जाना। वक़्त रहते वक़्त के साथ ही चलना सीख लो, ना बनाओ बहाना, जिंदगी की दौड़ में पीछे रह जाओगे, तो भाग्य को दोष ना लगाना। 🎀 प्रतियोगिता संख्या- 23 🎀 शीर्षक:- "" वक़्त का ये परिंदा "" 🎀 शब्द सीमा नहीं है। 🎀 इस प्रतियोगिता में आप सभी को इस शीर्षक पर collab करना है।