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मैं अकेला इसलिए रहता हूं की में खामोश रह सकूं मेरी

मैं अकेला इसलिए रहता हूं की में खामोश रह सकूं
मेरी खामोशियों में तू जो गुन गुनाती हैं
जब से तु मिली मुझे दुनिया की चहल पहल अब कहा राज़ आती है
डोर से काट कर मुझे तूजो खुले आसमान में उड़ती है
जमी की चहल पहल मुझे अब कहा राज़ आती है
तू छोटी नदियों से बहकर समुद्र में ले जाती है
जब से तु मिली समुंद्र की लहरे भाती हैं अब नदिया कहा राज़ आती है
जब से तु मिली दिन मै जागते हुए ख्याव दिखाती हैं
तेरे सिवा कोई और कहा भाती है
अब तो एक पल की भी दूरी हमे कहा राज़ आती है

©74890GK
  कोई कहा राज़ आती है
govind9210738662420

74890GK

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कोई कहा राज़ आती है #शायरी

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