लफ्ज़ मेरे लबों में ठहर गए, जगनुओ के संग राते बीत गए आए काश वो एक बार पलट जाए, पर उसे दूर जाते ताकते रह गए । बेइंतहा होती है ख़ामोशी, हदें तो आवाज़ की तय होती है... ख़ाली नहीं होती ख़ामोशी, तमाम जवाबों से भरी होती है !! ―©निवृत्ति_♥ #ख़ामोशी #शोर_और_ख़ामोशी #बेइंतहां