मैं गिर गई हुं मुझको उठा लो ना, चोट लगी है मुझे सीने से लगा लो ना, ज़ख्म बहुत गहरा है दवा कर दो ना, मेरी मां अपनी ममता से मेरा दर्द भर दो ना। मैं बच्ची हुं मेरी नादानी नज़रंदाज़ कर दो ना, मां मैं गलती तो हमेशा करती हुं मगर आज फिर माफ़ कर दो ना, प्यार मुझसे कितना करती है मुझे डांटकर इज़हार कर दो ना, एक दफा मुझे देखकर मुस्कुरा दो और मेरी ज़िनदगी में खुशियों की बहार कर दो ना। मैं गुनहगार हूं मेरे लिए ख़ुदा से जन्नत की फ़रियाद कर दो ना, मां मेरा कोई सहारा नहीं तुम्ही मेरी नय्या पार कर दो ना, हमेशा मुझपे एहसान किया हैं आज फिर एहसान कर दो ना, हमेशा के लिए तु मेरी शान और मुझे अपनी जान कर दो ना। मैं अब बड़ी हो गई हूं इस बात से इंकार कर दो ना, हां मैं आज भी शरारती हूं मेरी बचपना फिर से बरदाश्त कर लो ना, मां मैं हमेशा तेरे लिए बच्ची ही रहूंगी इसरार कर दो ना, हमेशा की तरह आज फिर मेरी हाथ थामकर मेरे साथ चल लो ना। Happy mother's day ❤🎁! #mothersday This poem is dedicated to mother when any mistake is done by child ! Thanks for your poke Imran Khan & Muzzammil Hussain Rehmani #saman_asfia #saman_asfia_hindi_poems #mother