तुम्हें अपनी चाहत का हर एहसास दूं बेकरार से इस को अपने स्पर्श से करार दूं यकीं नही है "जान" मुझपर कि प्यार कितना करता हूँ पूछो दिल से अपने क्या वो जवाब देता है आओं सुनाऊं धड़कन अपनी सुनों क्या नाम उसमें धड़कता है आओं लगाऊं लबों से तुम्हें देखो क्या एहसास जन्मता है "लाडली" उठती नही नज़र अब इक तेरे सिवा किसी और पर पूर्णविराम मन पर है सोचता नही तेरे सिवा कुछ और मैं तुमसे जुदा हम ना रह पायेंगे जियेंगे तो कुछ मकसद लेकर मगर तेरे प्यार बिना जिंदा लाश बनकर रह जायेंगे तुम नही "लाडली" तो हर अरमां खत्म मैं करता हूँ अपने हर जज्बात,हर एहसास ख्वाब़ ,सारे ख्वाहि़श दफ्ऩ करता हूँ तुम मिले तो जिंदगी को मैं फिर अंजाम दूंगा वरना इस समस्त सांसरिक जीवन को मैं त्याग दूंगा! -💞कवि💞✍️ ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1050 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।