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अक्सर तन्हा रातों में कोई ख़्वाब नहीं आते. तुम वो

अक्सर तन्हा रातों में कोई ख़्वाब नहीं आते.
तुम वो  ख़त  हो, जिसके  जवाब नहीं आते.

देखो यहाँ सब नशे में  है और मैं ज़हर में हूँ.
चाह कर भी मेरी आँखों में  आब नहीं आते.

लबों से  लगाना  तुम्हें छोड़ दिया है जब से.
मेरे प्याले  में अश्कों वाले  शराब नहीं आते.

हर कोई डूबा है उन्स के दरिया-ओ-ग़म मे.
अब किसी के  होठों पे इंकलाब  नहीं आते.

ऐ मालिक  मज़हबी  जंग छिड़ी  है जब भी,
हाथों में हथियार है, पर  किताब  नहीं आते.

 शुरुआत के तीन शेर इश्क़ है, 
और दो दुनियादारी

अर्थ :- 
उन्स - प्यार
दरिया-ओ-ग़म - ग़म का दरिया
अक्सर तन्हा रातों में कोई ख़्वाब नहीं आते.
तुम वो  ख़त  हो, जिसके  जवाब नहीं आते.

देखो यहाँ सब नशे में  है और मैं ज़हर में हूँ.
चाह कर भी मेरी आँखों में  आब नहीं आते.

लबों से  लगाना  तुम्हें छोड़ दिया है जब से.
मेरे प्याले  में अश्कों वाले  शराब नहीं आते.

हर कोई डूबा है उन्स के दरिया-ओ-ग़म मे.
अब किसी के  होठों पे इंकलाब  नहीं आते.

ऐ मालिक  मज़हबी  जंग छिड़ी  है जब भी,
हाथों में हथियार है, पर  किताब  नहीं आते.

 शुरुआत के तीन शेर इश्क़ है, 
और दो दुनियादारी

अर्थ :- 
उन्स - प्यार
दरिया-ओ-ग़म - ग़म का दरिया
itba1773705858770

writer abhay

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