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शाम का वक्त था.आखिरकार लगभग आधे घंटे तक बहस बाजी,म

शाम का वक्त था.आखिरकार लगभग आधे घंटे तक बहस बाजी,मोल भाव करने और भला बुरे कहने के बाद किच किच की इंतेहां को ताक मे रखते हुए उस पढ़ी-लिखी और संभ्रांत महिला ने सब्जी वाले से सौ रुपए की सब्जी खरीद ली और गलती से पांच सौ रुपए का एक नोट देकर जाने लगी.तब सब्जी वाले ने महिला को पुकारा और उसके पास जाकर उस पांच सौ रूपए के नोट के बदले ईमानदारी से अपनी सब्जी के सौ रुपए ले लिए.इस पर महिला ने अहंकार वश कहा.
"आश्चर्य है!तुमने बिना लालच के मेरे रुपए वापस कर दिए.तुम चाहते तो नही लौटाते और रख लेते?"
सब्जी वाले ने मासूमियत से कहा.
"मैने एक बार सोचा कि,रख लेता हूं...पर आपके मोलभाव करने के तरीकों से मुझे लगा कि,मुझसे ज्यादा आपको...इन पैसों की जरूरत है."
इतना कहकर सब्जी वाला वहां से लौट गया.वह महिला अब भी वहीं खड़े हो कर उस पांच सौ रुपए के नोट को देख रही थी.

©SUNIL KUMAR VERMA
  मोल भाव

मोल भाव #प्रेरक

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