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अपनी आज मौज मे, मैं निकला मयकदे से था। और चल पड़ी

अपनी आज मौज मे, मैं निकला मयकदे से था। 
और चल पड़ी नजर जहाँ, वो रकीब संग खड़े मिला। 
में देख कर उसे वहीं, जम गया जगह पे था। 
फिर मिल गई नजर वहीं, वो देख कर पलट गया। 
वो निकल गई वहां से थी, में मुंतजिर खड़ा रहा। 
जो रूह आई लौट कर, मैं आग-सा भपक पड़ा। 
ना नींद आई रात भर, ना चैन से में लिख सका। 
सहर हुई पता नहीं, ना शाम का पता चला। 
फिर मयकदे को ढुंढता, फिदई मैं निकल चला।

©Deepak Saini #raqeeb #Love #Broken #Shayar #Shayari #Hindi #safar 

#mashooq
अपनी आज मौज मे, मैं निकला मयकदे से था। 
और चल पड़ी नजर जहाँ, वो रकीब संग खड़े मिला। 
में देख कर उसे वहीं, जम गया जगह पे था। 
फिर मिल गई नजर वहीं, वो देख कर पलट गया। 
वो निकल गई वहां से थी, में मुंतजिर खड़ा रहा। 
जो रूह आई लौट कर, मैं आग-सा भपक पड़ा। 
ना नींद आई रात भर, ना चैन से में लिख सका। 
सहर हुई पता नहीं, ना शाम का पता चला। 
फिर मयकदे को ढुंढता, फिदई मैं निकल चला।

©Deepak Saini #raqeeb #Love #Broken #Shayar #Shayari #Hindi #safar 

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deepaksaini9612

Deepak Saini

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