अकेला हूं खुश हूं, अक्सर महफिल में लोग रूठ जाते हैं। ऐ जिंदगी दौलत, रिश्तेदारों का क्या करेगी तू, धीरे धीरे सब छूट जाते हैं। ना मुड़ पीछे ऐ जीवन मेरे क्या बात है रूसने वाली, सुना है गमगीन राहों के मुसाफिर राहें भूल जाते हैं। पीछा ना कर ऐसे तू उसका अरे सफलता खुद तेरे पास आयेगी, कोशिश कर वादे ना कर वादे तो अक्सर टूट जाते हैं। जबतक चलें सांसे तेरी तू जी आखरी दम तक, कहते हैं बंद आंखों के सपने खुशियां लूट जाते हैं। तुझसा कोई देखा नहीं हमने कभी कायनात में, ऐ दोस्त इन फिजाओं का क्या क्षणिक हैं सब भूल जाते हैं। ना रहा कर तू बनकर कांच ओ मुसाफिर, शीशे से बने लोग जल्दी टूट जाते हैं। अच्छा है जो कोई रहता नहीं साथ तेरे, सुना है खुद के साथ रहने वाले अक्सर जीत जाते हैं। ©Consciously Unconscious #Thoughts Sometimes, promises are always made to be broken!!!!!