इश्क़ है या नशा है तेरा यह धुआँ-धुआँ सा चढ़ रहा अंग-प्रत्यंग में मेरे झूम रही कस्तूरी मृग सी पी इसे, होश भी होश में नहीं रहे मेरे चाहत में तेरी दिन-रात का अंतर भूल रही हूँ मैं आकर देख ज़रा,तेरे लिए क्या से क्या हो रही हूँ मैं डूबी हूँ जबसे इश्क़ में तेरे,उबरने का मोह छोड़ रही हूँ मैं पसरा इश्क़ का धुआँ तेरा,पहचान खो अपनी,पहचान रही बस तुझे ही मैं..! Muनेश..Meरी✍️🌹 Challenge-146 #collabwithकोराकाग़ज़ 8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए :) #धुआँधुआँसाइश्क़ #कोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with कोरा काग़ज़ ™️