शाम ढलते पिया के बाहों मे सो जाती हो नशीले ख्वाबों में मदमस्त हो खो जाती हो प्रेम के वातावरण में ना तुम जहर घोलो मेरे कविता से क्यूं श्रृंगार तुम मिटाती हो ©R.V. Chittrangad 9839983105 love hater #Love