हम थे,वो थे और बातें थी, रात अँधेरी और जगमगाती रौशनी थी, चले जा रहें थे धीमी रफ़्तार में, की बस......... गाड़ियों का शोर,ट्रक के नीचे, जाने कहाँ वो,कहाँ हम, लोगो ने उठाया, एक पल में क्या हुआ कुछ समझ ना आया, जब समझ आया तो लहूलुहान थे हम, मुझसे उसकी हालत देखि ना जा रही थी, खौफ और घबराहट से सांसे ऊपर निचे हुयी जा रही थी, जैसे तैसे हम पहुंचे अस्पताल, अब तक जो हॉस्पिटल के नाम से डरती थी, आज ICU के बिस्तार पर बेबस लाचार, डरी सहमी, जहन में हजारों बुरे ख्यालों के साथ, एक टक अपने पति को निहारती खामोश पड़ी थी, आँखों की नींद गायब थी, अपनो को देखनी की दिल में ख्वाहिश थी, कल होगा या नहीं इस भय से, दिल चाहता था उसे एक बार गले से लगा लूँ, फिर मर भी जाऊं तो कोई गम नहीं, खुद से बस इतनी ही अरदास थी, मैं रहूँ ना रहूँ मेरा जीवनसाथी सलामत रहें, मेरा घर मेरा परिवार सलामत रहें, ये सारी बातें उस रात की थी, जिस रात मौत से हमारी मुलाक़ात हुई | ©Sonam kuril कहानी एक रात की, #दुर्घटना #Accidentally #accident