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पिंक सॉस पास्ता और रेड वेलवेट आइसक्रीम हम तुम मि

पिंक सॉस पास्ता और रेड वेलवेट आइसक्रीम 

हम तुम मिले थे उस तरह 
टूटता तारा मिलता है 
धरती से जिस तरह ....

तुम्हे पता है उस दिन आधी रात को जब मुझे पता चला था तुम मेरे शहर आने वाली हो... कितनी खुशनुमा गुजरी थी वो रात जानती हो  मैं उस दिन पूरी रात सोया ही नहीं ...ना जाने बस आसमान में टिमटिमाते तारे और बनते बिगड़ते बादलों को देखता रहा ...जब सुबह हुई  बड़ी मुश्किल से तो तैयार हुआ समझ ही नही आ रहा था क्या पहनूं...जैसे जैसे हमारे मिलने का समय करीब आ रहा था वैसे वैसे दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी...दोपहर में 12 बजे के आस पास जब मैं अपनी लाल परी ( मेरी बाइक ) लेकर  तुम्हारे भाई के घर के बाहर पहुंचकर तो ना जाने कितनी बातें जो तुमसे की थी मन में उमड़ घुमड़ रही थी..जब तुम बाहर आई और बाइक पर बैठ गई  ऐसा लगा जैसे मैं कोई सपना देख रहा हूं ..थोड़ी झिझक के साथ मैंने पूंछा कि कहां चले??
तुमने कितनी आसानी से कह दिया जहां तुम्हारा मन करे कहीं भी चलो ...किसी कैफे में चलें?
बहुत धूप थी उस दिन...कैफे पहुंचते पहुंचते तुम पसीने से पूरी 
तरह  भीग चुकी थी...तुम्हारे माथे पर पसीने की बूंदे ऐसी लग रही थी मानो जैसे बारिश के मौसम में पत्तों से टपकती बूंदे..
तुम्हे पता है जब तुम कैफे का मेनू देख रही थी ना...उस समय  मैने तुम्हे ठीक से देखा उस दिन तुमने हल्के गुलाबी रंग का टॉप और नीले रंग का जींस पहना हुआ था ...खुले हुए बाल जो तुम्हारे कंधे से आगे की तरफ बिखरे हुए थे  उनमें जो गोवा में ऊन  से बनवाई गई रंगबिरंगी चोटी थी  उसने जैसे तुम्हारे रूप को और सुंदर बना दिया था ..तुमने कितने प्यार से पूंछा था कि आपको चाय पसंद नही है ??
मै संकोच में था कि हां कहूं या ना...फिर हमने पिंक सॉस पास्ता ,रेड वेलवेट आइसक्रीम  और कोल्ड काफी मंगवाई ...2 घंटे कब बीत गए पता ही नही चला .. उसके बाद हम लोग कैफे के बाहर थोड़ा टहलने निकल आए थे..कहना तो बहुत कुछ था तुमसे लेकिन शब्द ही नहीं मिल रहे थे...तुम भी शांत थी लेकिन एक खामोशी थी जो हमारे बीच बातें कर रही थी..उस दिन लगभग हैं आधा शहर हमने  बाइक पर ही घूम लिया था....वो शाम शाम नही एक याद बनने वाली थी ..तुम शाम को बस से अपने घर जाने वाली थी ...सच बताऊं तो यह  सुनकर मेरा मन बहुत उदास हो गया था .. जी चाहता था तुम्हे थोड़ा वक्त और अपने पास रोक लूं थोड़ा और वक्त हुएहम साथ बिता लें एक दूसरे को समझे ....लेकिन तुम्हारी बस का समय होने वाला था ....जाते जाते तुमने कहा था ..माफ करना आशु हम शायद कभी एक नही हो पाएंगे ...तुम्हे जाते देख में आँखें भर आई थी...लेकिन मैं तुम्हारी दुविधा समझ सकता था इसीलिए मैंने कुछ कह नहीं सका  ...लेकिन आज एक बात कहना चाहता हूं...तुम जहां भी रही खुश रहना ... क्यूं कि तुम्हे खुश देखकर हम भी मुस्कुरा दिया करते हैं...प्रकृति चाहेगी तो हम फिर कभी ऐसे ही मिलेंगे किसी कैफे में और हां इस बार तुम्हारी पसंद की चाय जरूर पियेंगे ...

तुम्हारा ..........

©Ashutosh jain पिंक सॉस पास्ता एंड रेड वेलवेट आइसक्रीम।
       पिंक सॉस पास्ता और रेड वेलवेट आइसक्रीम 

हम तुम मिले थे उस तरह 
टूटता तारा मिलता है 
धरती से जिस तरह ....

तुम्हे पता है उस दिन आधी रात को जब मुझे पता चला था तुम मेरे शहर आने वाली हो... कितनी खुशनुमा गुजरी थी वो रात जानती हो  मैं उस दिन पूरी रात सोया ही नहीं ...ना जाने बस आसमान में टिमटिमाते तारे और बनते बिगड़ते बादलों को देखता रहा ...जब सुबह हुई  बड़ी मुश्किल से तो तैयार हुआ समझ ही नही आ रहा था क्या पहनूं...जैसे जैसे हमारे मिलने का समय करीब आ रहा
पिंक सॉस पास्ता और रेड वेलवेट आइसक्रीम 

हम तुम मिले थे उस तरह 
टूटता तारा मिलता है 
धरती से जिस तरह ....

तुम्हे पता है उस दिन आधी रात को जब मुझे पता चला था तुम मेरे शहर आने वाली हो... कितनी खुशनुमा गुजरी थी वो रात जानती हो  मैं उस दिन पूरी रात सोया ही नहीं ...ना जाने बस आसमान में टिमटिमाते तारे और बनते बिगड़ते बादलों को देखता रहा ...जब सुबह हुई  बड़ी मुश्किल से तो तैयार हुआ समझ ही नही आ रहा था क्या पहनूं...जैसे जैसे हमारे मिलने का समय करीब आ रहा था वैसे वैसे दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी...दोपहर में 12 बजे के आस पास जब मैं अपनी लाल परी ( मेरी बाइक ) लेकर  तुम्हारे भाई के घर के बाहर पहुंचकर तो ना जाने कितनी बातें जो तुमसे की थी मन में उमड़ घुमड़ रही थी..जब तुम बाहर आई और बाइक पर बैठ गई  ऐसा लगा जैसे मैं कोई सपना देख रहा हूं ..थोड़ी झिझक के साथ मैंने पूंछा कि कहां चले??
तुमने कितनी आसानी से कह दिया जहां तुम्हारा मन करे कहीं भी चलो ...किसी कैफे में चलें?
बहुत धूप थी उस दिन...कैफे पहुंचते पहुंचते तुम पसीने से पूरी 
तरह  भीग चुकी थी...तुम्हारे माथे पर पसीने की बूंदे ऐसी लग रही थी मानो जैसे बारिश के मौसम में पत्तों से टपकती बूंदे..
तुम्हे पता है जब तुम कैफे का मेनू देख रही थी ना...उस समय  मैने तुम्हे ठीक से देखा उस दिन तुमने हल्के गुलाबी रंग का टॉप और नीले रंग का जींस पहना हुआ था ...खुले हुए बाल जो तुम्हारे कंधे से आगे की तरफ बिखरे हुए थे  उनमें जो गोवा में ऊन  से बनवाई गई रंगबिरंगी चोटी थी  उसने जैसे तुम्हारे रूप को और सुंदर बना दिया था ..तुमने कितने प्यार से पूंछा था कि आपको चाय पसंद नही है ??
मै संकोच में था कि हां कहूं या ना...फिर हमने पिंक सॉस पास्ता ,रेड वेलवेट आइसक्रीम  और कोल्ड काफी मंगवाई ...2 घंटे कब बीत गए पता ही नही चला .. उसके बाद हम लोग कैफे के बाहर थोड़ा टहलने निकल आए थे..कहना तो बहुत कुछ था तुमसे लेकिन शब्द ही नहीं मिल रहे थे...तुम भी शांत थी लेकिन एक खामोशी थी जो हमारे बीच बातें कर रही थी..उस दिन लगभग हैं आधा शहर हमने  बाइक पर ही घूम लिया था....वो शाम शाम नही एक याद बनने वाली थी ..तुम शाम को बस से अपने घर जाने वाली थी ...सच बताऊं तो यह  सुनकर मेरा मन बहुत उदास हो गया था .. जी चाहता था तुम्हे थोड़ा वक्त और अपने पास रोक लूं थोड़ा और वक्त हुएहम साथ बिता लें एक दूसरे को समझे ....लेकिन तुम्हारी बस का समय होने वाला था ....जाते जाते तुमने कहा था ..माफ करना आशु हम शायद कभी एक नही हो पाएंगे ...तुम्हे जाते देख में आँखें भर आई थी...लेकिन मैं तुम्हारी दुविधा समझ सकता था इसीलिए मैंने कुछ कह नहीं सका  ...लेकिन आज एक बात कहना चाहता हूं...तुम जहां भी रही खुश रहना ... क्यूं कि तुम्हे खुश देखकर हम भी मुस्कुरा दिया करते हैं...प्रकृति चाहेगी तो हम फिर कभी ऐसे ही मिलेंगे किसी कैफे में और हां इस बार तुम्हारी पसंद की चाय जरूर पियेंगे ...

तुम्हारा ..........

©Ashutosh jain पिंक सॉस पास्ता एंड रेड वेलवेट आइसक्रीम।
       पिंक सॉस पास्ता और रेड वेलवेट आइसक्रीम 

हम तुम मिले थे उस तरह 
टूटता तारा मिलता है 
धरती से जिस तरह ....

तुम्हे पता है उस दिन आधी रात को जब मुझे पता चला था तुम मेरे शहर आने वाली हो... कितनी खुशनुमा गुजरी थी वो रात जानती हो  मैं उस दिन पूरी रात सोया ही नहीं ...ना जाने बस आसमान में टिमटिमाते तारे और बनते बिगड़ते बादलों को देखता रहा ...जब सुबह हुई  बड़ी मुश्किल से तो तैयार हुआ समझ ही नही आ रहा था क्या पहनूं...जैसे जैसे हमारे मिलने का समय करीब आ रहा