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जब मैं तुमसे मिली थी तब कुछ खास नहीं लगे तुम पर शा

जब मैं तुमसे मिली थी
तब कुछ खास नहीं लगे तुम
पर शायद 
कोई तो बात थी तुममे
जिस कारण
मैने तुमसे दोस्ती करना चाही।
हममे
धीरे धीरे
बातों की शुरुआत हुई।
फिर इन्हीं बातों बातों में
मैं तुम्हे जानने लगी।
तुम इतना सच बोलते थे
कि अक्सर डर लगता था मुझे
कि अगर हमारा रिश्ता आगे बढ़ता है 
तो क्या होगा हमारा ...
बस इसी डर से
मैं एक बार चली भी गयी थी 
तुम्हे छोड़ कर
पर
जाने तुममे क्या बात थी
जो तुम मुझे अपने पास 
वापस खींच लाये ।
मैं फिर आई 
तुम्हारी ज़िन्दगी में।
बस तुमको सुनने के लिये
मैं तुमसे बातें करने लगी,
सब जानती थी मैं 
तुम्हारे बारे में ,
तुम्हारी गलतियों के बारे में ,
फिर भी मैं तुमसे प्यार करने लगी।
पर मुझे प्यार से दूर रहना है
बस इसीलिए मैं तुम्हे 
इन्कार करती रहूंगी ...
जब मैं तुमसे मिली थी
तब कुछ खास नहीं लगे तुम
पर शायद 
कोई तो बात थी तुममे
जिस कारण
मैने तुमसे दोस्ती करना चाही।
हममे
धीरे धीरे
बातों की शुरुआत हुई।
फिर इन्हीं बातों बातों में
मैं तुम्हे जानने लगी।
तुम इतना सच बोलते थे
कि अक्सर डर लगता था मुझे
कि अगर हमारा रिश्ता आगे बढ़ता है 
तो क्या होगा हमारा ...
बस इसी डर से
मैं एक बार चली भी गयी थी 
तुम्हे छोड़ कर
पर
जाने तुममे क्या बात थी
जो तुम मुझे अपने पास 
वापस खींच लाये ।
मैं फिर आई 
तुम्हारी ज़िन्दगी में।
बस तुमको सुनने के लिये
मैं तुमसे बातें करने लगी,
सब जानती थी मैं 
तुम्हारे बारे में ,
तुम्हारी गलतियों के बारे में ,
फिर भी मैं तुमसे प्यार करने लगी।
पर मुझे प्यार से दूर रहना है
बस इसीलिए मैं तुम्हे 
इन्कार करती रहूंगी ...
dineshpal9686

Dinesh pal

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