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दाग़ और नाराज़ मत कर मेरे रब मैं थक गया हूँ अब आज़ाद

दाग़ और नाराज़ मत कर मेरे रब
मैं थक गया हूँ  अब आज़ाद कर
जितने लिखे हैं पन्ने जिंदगी के,
फाड़कर उन्हें अब एक कर। #यक़बाब
दाग़ और नाराज़ मत कर मेरे रब
मैं थक गया हूँ  अब आज़ाद कर
जितने लिखे हैं पन्ने जिंदगी के,
फाड़कर उन्हें अब एक कर। #यक़बाब
iqbalmalik1863

Iqbal Malik

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