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कैसा है ये कोरोना कहर, याद आ जाता है कॉलेज हर पहर!

कैसा है ये कोरोना कहर,
याद आ जाता है कॉलेज हर पहर!
अरपा पैरी के धार,महानदी है अपार,
कहां रह गया अपना कॉलेज को वो परिवार।
हर जगह हर कहीं....
मानो छूट गया हो वहीं!😕
अब बन्द पड़ा है कॉलेज का वो गेट,
नहीं खुलता था जब हो जाते थे लेट!
आलमारी में पड़ा मिलता है,
कॉलेज का वो ड्रेस,
अचानक हो गया सब कुछ मैस।
हो जाते थे तब परेशान,
अब याद आ जाते हैं कॉलेज के कुछ दोस्त नादान।
होती रहती थी मस्ती,
कुछ ऐसी ही तो थी अपनी हस्ती।
घर में एक बॉटल भरा नहीं जाता था,
कॉलेज में दर्जनों बोतलें भर भर लाते थे...
निगाह बनाए रखते थे, निकालते है झपट पड़ते थे।
दोस्तों की टिफिन पर हम कुछ इस कदर अपना हक बनाए रखते थे।
खेलते थे मन से क्रिकेट,
और ले लेते थे विकेट।
मारते थे छक्के, 
रह जाते थे देखने वाले हक्के- बक्के।
वर्कशॉप, सेमिनार, टेस्ट सब कितने जल्दी हो गए।
ना जाने, वो दिन कहां खो गए!

©Kajal Singh #कॉलेज का सफरनामा
कैसा है ये कोरोना कहर,
याद आ जाता है कॉलेज हर पहर!
अरपा पैरी के धार,महानदी है अपार,
कहां रह गया अपना कॉलेज को वो परिवार।
हर जगह हर कहीं....
मानो छूट गया हो वहीं!😕
अब बन्द पड़ा है कॉलेज का वो गेट,
नहीं खुलता था जब हो जाते थे लेट!
आलमारी में पड़ा मिलता है,
कॉलेज का वो ड्रेस,
अचानक हो गया सब कुछ मैस।
हो जाते थे तब परेशान,
अब याद आ जाते हैं कॉलेज के कुछ दोस्त नादान।
होती रहती थी मस्ती,
कुछ ऐसी ही तो थी अपनी हस्ती।
घर में एक बॉटल भरा नहीं जाता था,
कॉलेज में दर्जनों बोतलें भर भर लाते थे...
निगाह बनाए रखते थे, निकालते है झपट पड़ते थे।
दोस्तों की टिफिन पर हम कुछ इस कदर अपना हक बनाए रखते थे।
खेलते थे मन से क्रिकेट,
और ले लेते थे विकेट।
मारते थे छक्के, 
रह जाते थे देखने वाले हक्के- बक्के।
वर्कशॉप, सेमिनार, टेस्ट सब कितने जल्दी हो गए।
ना जाने, वो दिन कहां खो गए!

©Kajal Singh #कॉलेज का सफरनामा
kajalsingh7589

Kajal Singh

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